The Definitive Guide to Shodashi

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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥

कामेश्यादिभिरावृतं शुभ~ण्करं श्री-सर्व-सिद्धि-प्रदम् ।

The underground cavern includes a dome superior higher than, and hardly visible. Voices echo fantastically off the ancient stone on the walls. Devi sits within a pool of holy spring water having a Cover over the top. A pujari guides devotees by the whole process of having to pay homage and acquiring darshan at this most sacred of tantric peethams.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥८॥

तां वन्दे नादरूपां प्रणवपदमयीं प्राणिनां प्राणदात्रीम् ॥१०॥

क्या आप ये प्रातः स्मरण मंत्र जानते हैं ? प्रातः वंदना करने की पूरी विधि

यदक्षरमहासूत्रप्रोतमेतज्जगत्त्रयम् ।

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

कर्त्री लोकस्य लीलाविलसितविधिना कारयित्री क्रियाणां

संक्रान्ति — प्रति मास जब सूर्य एक संक्रान्ति से दूसरी संक्रान्ति में परिवर्तित होता है, वह मुहूर्त श्रेष्ठ है।

तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस website भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।

साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥

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